संसार मे प्रेम और शांति प्रतिस्थापित करने के लिए, समय समय पर महान संतों और महापुरुषों ने जन्म लिया और अपने प्रयत्न से सारी ही मानवता को खुशहाल बनाया है। इन्हीं मे से एक संत निरंकारी मिशन भी है जो पिछले करीबन 95वें वर्षों से समाज को अध्यात्म का अनूठा संदेश बाँट रहा है। जनमानस मे ईश्वर के प्रति जागरूकता को भरने और संसार को एक प्रेम की डोर से बांधकर, सभी मजहबी दिवारे गिराकर, सभी धर्मों को एक साथ बिठाने का काम एकमात्र निरंकारी मिशन ही अब तक करता आया है। यही कारण है की यहाँ सभी धर्मों के लोग देखने को मिल जाते है और इसी अनूठे संगम को निरंकारी मिशन ने समागम का नाम दिया है।
पिछले हर वर्ष की भांति इस साल भी निरंकारी संत समागम की सेवाओ का आज विधिवत रूप से अनावरण, समालखा के विशाल मैदानों मे सद्गुरु माताजी के कर कमलों द्वारा किया जा चुका है। जिसमे हजारों संख्या मे निरंकारी भक्त व समाज के भिन्न पदों मे कार्यरत गणमान्यों ने भी शिरकत की। समागम स्थल सेवाओ से समर्पित भावों से सराबोर नजर आया। समाज के हर वर्ग को सद्गुरु ने सभी भेदवाव को मिटाकर एक साथ सेवा करने के लिए प्रोत्साहन भी दिया।
समागम सेवा का उद्घाटन
रविवार, 06 ऑक्टोबर: हर वर्ष के भांति ये वर्ष भी वो सुनहरा पल आया जब सद्गुरुमाताजी ने फिर एक बार सभी भक्तों को सेवाओ के योग से निहाल किया। समागम स्थल पर जहां सभी के हृदय सेवा के समर्पण भाव को दर्शा रही थी वही सभी भक्त अपनी पलके बिछाए सद्गुरु के आगमन की राह भी देख रहे थे। दिन के करीब साढ़े ग्यारह बजे थे और सद्गुरुमाताजी का शुभ आगमन समागम की पावन धरा पर हुआ। उनके आगमन मात्र से ही सभी के चेहरे खिल उठे थे। सारा संसार मानो सद्गुरु के आगमन पर स्वागत के गीत गाता नजर आया। स्वर्ग के सभी देवता मानो सद्गुरुदेव के आगमन पर पुष्प वर्षा करते नजर आए। सद्गुरु के इस दिव्य स्वरूप को केवल वही देख पा रहा था जिसने निरंकार रूप में भी इस परम सत्ता की विशालता का बोध हासिल कर रखा है।
सद्गुरुमाताजी ने अपने पावन कदम सत्संग पंडाल के सम्मुख बनाए गए उस मंच की ओर बढ़ाया जहां सेवा का शुभारंभ उनके कर कमलों द्वारा किया जाना था। सद्गुरुमाताजी के साथ उनके कुछ सेवादार और सिक्युरिटी के सदस्य भी साथ साथ चलते नजर आए। सद्गुरुमाताजी ने फावड़ा उठाया और जमीन के मिट्टी का कुछ अंश तसले मे भरकर सेवा का विधिवत रूप से आगाज किया और फिर सभी सेवादारों को नमस्कार करते हुए सदगुरुमाताजी सत्संग पंडाल की ओर रुख कर लिया, जहां उन्होंने सेवादारों को सेवा का महत्व भी समझाया और निष्काम, निरीक्छित सेवा की भी बात पर भी जोर दिया।
सद्गुरु का सेवा के प्रति दिव्य संदेश
सद्गुरुमाताजी ने समस्त साध संगत और सेवादारों को अपने मुखार बिन्दु द्वारा सेवा के मूल्य को समझाने का प्रयास किया। समाज मे रहकर किस तरह जहां संसार के प्रति जो हमारे कर्तव्य और दायित्व बनते है, जहां उन्हे तो निभाना ही है परंतु सद्गुरु के दर पर खुद को किस तरह सेवा मे प्राणार्पण किया जाए, इसके मूल्य को दर्शाते हुए सदगुरु सरकार ने अपने विचारों को अभिव्यक्त किया। उनके विचारों के कुछ अंश इस प्रकार है,
सेवा तो ऐसे है मन के भाव कोई देख रहा हो, न देख रहा हो ये भक्त तो इस परमात्मा की मस्ती में झूमते हुए वो एक आदेश अनुसार जो भी उस समय की सेवा है, उसको करते हुए संत कभी ये नही सोचते की अगर महापुरुषों ने जो आदेश दिया वो सेवा मेरी पर्सनैलिटी से मैच हो रही है या नहीं। सेवा ये एक दिखावा मात्र नही की, कुछ महापुरुष है जो हमारे जानकर है उन महापुरुषों की नजर में हमे कुछ साबित करना है। सेवा मन के समर्पित भाव से हो।
-सद्गुरुमाता सुदीक्षा जी महाराज
कैसी होगी समागम की रूपरेखा?
निरंकारी समागम हर साल अपने भव्य और विस्तारित स्वरूप को लेकर आकर्षण का केंद्र रहा है। समागम मे आनेवाले हर श्रद्धालु के लिए रहने के लिए रिहायती टेंटों से लेकर, लंगर की व्यवस्था, कैन्टीन की व्यवस्था, प्याऊ की व्यवस्था, डिस्पेंसरी की व्यवस्था, टॉइलेट की व्यवस्था, Atm की व्यवस्था, प्रकाशन की व्यवस्था इत्यादि अन्य सभी जरूरतों का विशेष आयोजन संत निरंकारी मिशन द्वारा किया जाता है। ताकि किसी भी भक्तगण को किसी भी तरह की असहजता का सामान्य ना करना पड़े। हर जरूरत के समान भक्तों को समागम स्थल पर ही मुहैया करा दी जाति है, ताकि उन्हे समागम ग्राउन्ड छोड़ कर जरूरतों के अभाव मे कहीं बाहर न जाना पड़े।
समागम के मुख्य आकर्षण जैसे निरंकारी संत समागम का विशाल गेट, समागम मे लगनेवाली परदर्शनी, विश्व के अनेक प्रांतों से उपस्थित कायरोपैक्टिकडॉक्टर्स की स्पेशल टीम, समागम पंडाल जहां 5 लाख से अधिक श्राद्धले के बैठने की व्यवस्था होना इत्यादि ऐसे अनेक मनोहारी दृश्य देखने को मिलते जो समागम की मुख्य विशेषता के केंद्र भी रहे है। जाहिर है पिछले हर वर्ष की भांति ये सभी मनमोहक दृश्य इस साल के समागम मे भी आपको उसी रूप मे देखने को मिलेंगे।