भारत के कोयम्बटूर शहर मे स्थित Isha Foundation का एक बड़ा नाम है। इसके संथापक जग्गी वासुदेव जी विश्वभर मे अपने योग और अध्यात्म की शिक्षाओ के लिए जाने जाते है। हाल ही मे लगे आरोप के बाद उनकी यह संस्था फिर से एक बार सुर्खियों मे है। संस्था पर आरोप आश्रम मे रह रही दो युवतियों के पिता ने लगाया है जिनका मानना है कि आश्रम मे उनकी बेटियों को गुमराह करके जबरन अपने साथ रखा जा रहा है। पिता की इस याचिका के बाद अब मामला मद्रास कोर्ट से निकलकर दिल्ली के सुप्रीम कोर्ट तक जा पहुँचा है। मामले के गंभीरता के देखते हुए सुप्रीम न्यायालय ने भी एक बड़ा आदेश जारी कर दिया है।
क्या है पूरा मामला? विस्तार से जानिए
ईशा फाउंडेशन पर यह आरोप रिटायर्ड प्रोफेसर एस कामराज ने लगाया है। मद्रास हाईकोर्ट मे अपनी याचिका दर्ज करते व्यक्त उन्होंने यह बताया कि उनकी दोनो बेटियों को ईशा फाउंडेशन ने अपने योग सेंटर में बंधक बना कर रखा है। वहाँ उनकी बेटियों का ब्रेनवॉश किया गया है, जिसके कारण वे संन्यासी बन गईं है। और इसके बाद अब उनके परिवार को भी उनसे मिलने नहीं दिया जा रहा है।
मामले की सुनवाई करते हुए 30 सितंबर को मद्रास हाई कोर्ट के पुलिस को जांच का आदेश देते हुए ईशा फाउंडेशन से जुड़े सब क्रिमिनल केसों की डीटेल कोर्ट मे पेश करने का हुकूम दिया। जिसके बाद 1 अक्टूबर को ही 150 पुलिस कर्मी की टीम कोयम्बटूर के ईशा फाउंडेशन मे जांच करने पहुँच गई।
मद्रास हाई कोर्ट के इस आदेश को जग्गी वासुदेव ने सुप्रीम कोर्ट मे चुनौती दी। जिसके बाद मामले की सुनवाई करते हुए सुप्रीम न्यायालय ने उन दोनों बेटियों( गीता और लता) से बातचीत की। बातचीत मे उन दोनों बेटियों ने बताया की वे आश्रम मे अपनी मर्जी से रह रही है, उन्हे आश्रम मे रहने के लिए किसी ने कोई जोर जबरदस्ती नहीं की। जिसके बाद सुप्रीम कोर्ट मे अपना फैसला सुनाते हुए (CJI) डी वाई चंद्रचूड़ ने कहा कि,
“आप सेना या पुलिस को ऐसी जगह दाखिल होने की इजाजत नहीं दे सकते।”
कौन है वो दो बेटियाँ?
आश्रम मे रह रही वह दो बेटियाँ गीता और लता है। बड़ी बेटी गीता ने साल 2003 मे इंजीनियरिंग के पढ़ाई की। साल 2004 मे वह uk एक यूनिवर्सिटी से एम टेक की डिग्री लेकर उसी यूनिवर्सिटी मे वह एक लाख प्रतिमाह की वेतन पर नौकरी करने लगी। साल 2008 मे गीता का तलाक हुआ जिसके बाद वह साल 2012 मे ईशा फाउंडेशन के आश्रम मे पहुंची। आश्रम मे रहकर वह योग सीखने लगी। लता जो गीता की छोटी बहन है जब उसने गीता को आश्रम के प्रभाव से दूर रखने के प्रयास से ईशा के कोयम्बटूर आश्रम पहुंची, तो उसने भी वहाँ ईशा योग की क्लास लेना शुरू कर दिया और इसके बाद दोनों बेटियों ने वहीं रहने का फैसला कर लिया।
याचिकाकर्ता के मुख्य आरोप
जिन्होंने ईशा फाउंडेशन पर आरोप लगाया है उनका नाम एस कामराज है, वे तमिलनाडु एग्रीकल्चर यूनिवर्सिटी के प्रोफेसर भी रह चुके है। एस कामराज के द्वारा Sadhguru के आश्रम पर लगाए कुछ मुख्य आरोप इस प्रकार है,एस कामराज ने बताया की,
एस कामराज ने बताया की,
ईशा फाउंडेशन ने उनकी दोनों बेटियों को अपने योग ध्यान केंद्र मे बंधक बना कर रखा है। उन्हे ऐसी दवाई और खाने का समान दिया जा रहा है जिसने उनके सोचने समझने की शक्ति कमजोर हो रही है।
उनकी दोनों बेटियों को इस कदर ब्रेन वॉश किया गया कि इसके बाद वो सन्यासिनी बन गई और अपना सिर भी मुंडवा लिया।
बेटियों का परिवार के साथ संपर्क भी खत्म कर दिया गया है। और बिना बेटियों के उनका जीवन नर्क के समान है।
हालांकि आपको ये भी बतादे की पिता ने अपनी याचिका मे आगे यह भी खुलासा किया कि आश्रम मे काम कर रहे एक डॉक्टर के खिलाफ POCSO Act के तहत मुकदमा भी चल रहा है। यह कानून नाबालिक बच्चों के साथ यौन अपराध किए जाने पर लगाया जाता है।
सुप्रीमकोर्ट के आदेश
हाईकोर्ट मे हुए सुनवाई के बाद जब यह मामला सुप्रीम कोर्ट के दरवाजे तक पहुंचा तो उच्चतम न्यायालय ने हाईकोर्ट को इस केस मे दखल ने देने की अनुमति दी और केस के आगे की सुनवाई को सुप्रीम कोर्ट मे ही किए जाने का आदेश दिया। हालांकि सुप्रीम न्यायालय ने पुलिस को भीअब हाईकोर्ट के निर्देश पर कोई एक्शन ना लेने का हुकूम दिया और पुलिस जांच की स्टैटस रिपोर्ट को सुप्रीम कोर्ट मे ही सबमिट करने आदेश दिया। सुप्रीमकोर्ट के आदेश के अनुसार याचिकाकर्ता अब वर्चुअली या अपने वकील के साथ अदालत मे पेश हो सकते है। मामले के अगली सुनवाई की तारीख 18 अक्टूबर को सुनिश्चित की गई है।